भारत की विभिन्न परंपराएं इसके पहनावे में झलकती हैं, जिनमें साड़ी प्रमुख है। भारत में पारंपरिक परिधान के रूप में साड़ियों का उपयोग किया जाता है और आपको यह जानकर खुशी होगी कि प्रत्येक राज्य के अनुसार विभिन्न प्रकार की पारंपरिक साड़ियों का उपयोग किया जाता है। यहाँ हम अध्ययन करेंगे कि राज्य के अनुसार पारंपरिक परिधान के रूप में किस प्रकार की ट्रेडिशनल साड़ियों का उपयोग किया जाता है।
बनारसी साड़ियों का इतिहास मुगल काल से जुड़ा हुआ है। बनारसी साड़ियाँ अपने समृद्ध और शाही लुक के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं। Traditional saree look for wedding ये साड़ियाँ चाँदी और सोने के महीन धागों सेके साथ बनाई जाती हैं जिन पर हाथो से कढ़ाई की जाती है। ये साड़ियाँ बनारस में कुटीर उद्योगों और बड़े उद्योगों में बहुत ही नाज़ुक तरीके से तैयार की जाती हैं। ये साड़ियाँ खास तौर पर शादियों और बड़े समारोहों में पहनी जाती हैं।
अपनी दीर्घायु और शानदार चमक के कारण कांचीवरम साड़ियों को तमिलनाडु का पशान माना जाता है। इसका उपयोग विशेष अवसरों जैसे शादियों और Saree For Traditional Day in college बड़े समारोहों में किया जाता है यह सुनहरे धागों से शुद्ध रेशम से बना होता है और इसके पल्लू और बॉर्डर की अपनी विशेषता है। कांजीवरम साड़ियों को पुष्प, पत्ती, जंगली, पशु और मंदिर के डिजाइन में बनाया जाता है जो उन्हें आकर्षक बनाता है। तमिलनाडु में कांचीवरम साड़ियों को साड़ियों की रानी भी कहा जाता है।।
पैठणी साड़ी में इस्तेमाल किए गए रंग प्राकृतिक होते हैं जिससे इसकी खूबसूरती बरकरार रहती है। Indian traditional sarees इसे महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर मे रेशम द्वारा तैयार किया जाता है अपने रंगों और पैटर्न के खास संयोजन के लिए मशहूर है। इसके पल्लू को मोर, फूलों और ज्यामितीय आकृतियों से सजाया जाता है। पैठणी साड़ी में इस्तेमाल किए गए रंग प्राकृतिक स्रोतों से लिए गए हैं, जो लंबे समय तक अपनी खूबसूरती बनाए रखते हैं। पैठणी साड़ी खास तौर पर खास समारोहों और त्योहारों पर पहनी जाती है।
जामदानी साड़ी महीन सूती कपड़े पर बनाई जाती है जो इसे बहुत हल्का और मुलायम बनाती है। Traditional saree look for girl यह बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल में बहुत लोकप्रिय है। जामदानी साड़ी का पैटर्न फूल, पत्ती और बैल के डिज़ाइन में बनाया गया है। जामदानी साड़ी अपने डिज़ाइन और बारीक काम के कारण बहुत लोकप्रिय है। यह साड़ी अपनी सादगी और सुंदरता के लिए बंगाली महिलाओं के बीच बहुत लोकप्रिय मानी जाती है।
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बांधनी साड़ी का इस्तेमाल पारंपरिक रूप से राजस्थान और गुजरात में किया जाता है। इस साड़ी को बांधकर और रंगों में डुबोकर और इसे एक बढ़िया डिज़ाइन और बनावट देकर तैयार किया जाता है जिसका इस्तेमाल राजस्थान और गुजरात में बहुत आम तौर पर किया जाता है। यह साड़ी खूबसूरत और शाही डिज़ाइन में बनाई जाती है बांधनी साड़ी में रंगों का अद्भुत संयोजन होता है जो यहाँ की संस्कृति को दर्शाता है। यह गुजरात और राजस्थान में बहुत लोकप्रिय साड़ी है।
चंदेरी साड़ियाँ कपास और रेशम, ब्रोकेड के मिश्रण से बनाई जाती हैं। मध्य प्रदेश का चंदेरी शहर अपनी हल्की, महीन और पारदर्शी साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। चंदेरी साड़ियों की अपनी अलग विशेषताएँ हैं जैसे ब्रोकेड और ज़री। इसके डिज़ाइन में पारंपरिक रूप से पुष्प, पक्षी और ज्यामितीय डिज़ाइन होते हैं। इसकी खासियत यह है कि यह अपने हल्के वजन और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। इसे रोज़ाना या खास मौकों पर पहना जाता है।
गुजरात के पाटन शहर की पटोला साड़ी बहुत ही डबल अटैक तकनीक से बनाई जाती है। इसमें सबसे पहले धागों को रंगों में रंगा जाता है। फिर इसे बुना जाता है। यह तकनीक इसे आरामदायक और सुंदर बनाती है। यह साड़ी फूल, पत्तियों और ज्यामितीय हार के पैटर्न में बनाई जाती है। लंबी प्रक्रिया के कारण यह साड़ी बहुत महंगी होती है, जिसे खास त्योहारों और अवसरों पर पहना जाता है।
उड़ीसा और तेलंगाना में इकत साड़ी बहुत प्रचलित है। इसे इकत विधि से तैयार किया जाता है। सबसे पहले धागे रंगे जाते हैं। फिर इकत विधि से पैटर्न बनाए जाते हैं। उड़ीसा में इसे संबलपुरी इकत कहते हैं। इसे पारंपरिक फूल पत्ती और जमातिया आकार में तैयार किया जाता है। तेलंगाना की इकत साड़ियों को पंचमपुरी इकत कहते हैं। इसे पारंपरिक रंगों और पेंटिंग में बनाया जाता है। यह अपने जटिल और रंगीन पैटर्न के लिए प्रसिद्ध है। इकत त्योहारों और अवसरों पर पहनने के लिए आदर्श है।
पश्चिम बंगाल में तात साड़ी अपनी सादगी और आरामदायक कपड़े के लिए मशहूर है। Simple Traditional Saree look यह सूती कपड़े से बनी होती है जो हल्की और हवादार होती है। तात साड़ी में फूलों की पत्तियां और पारंपरिक डिज़ाइन शामिल होते हैं। बंगाल के गर्म मौसम में यह साड़ी रोज़ाना पहनने के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
पंजाब की फुलकारी की कलाकारी पहले पंजाब के दुपट्टे और ओढणी में देखने को मिलती थी, जो अब साड़ी में भी डिजाइन की जाने लगी है। Traditional saree without blouse फुलकारी साडियों में हाथ से किया जाने वाला फूलों का डिज़ाइन वर्क है, जिसमें विभिन्न रंग और डिज़ाइन शामिल होते हैं। इसे खास मौकों और त्योहारों पर पहनने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। फुलकारी साड़ियों में पंजाब की संस्कृति और धरौहर को देखा जा सकता है।